Monday, June 2, 2014

दोस्त



ज़िन्दगी के इस कश्मकश मैं
वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ ,
लेकिन वक़्त का बहाना बना कर ,
अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता !

जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की, 
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की, 
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है ,
पर जहाँ से अपना दोस्त ना दिखे, वो ऊंचाई किस काम की ..??

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